जानिए युवा विवाह से क्यों डरते हैं। मानसिक, आर्थिक और सामाजिक कारणों को समझें और सही मार्गदर्शन अपनाकर संतुलित और खुशहाल जीवन की ओर बढ़ें।
हमारे देश में विवाह को शुरू से ही परंपरागत रूप से जीवन का बहुत बड़ा पड़ाव माना गया है विवाह को परिवार में समाज में और संस्कारो में इसे स्थिरता, जिम्मेदारी ,प्रेम का प्रतीक माना जाता है लेकिन फिर भी आज कल के युवा वर्ग विवाह से कतराते नजर आ रहे है
विवाह के नाम से कई युवा घबराते है रिश्तों से दूर भागते है या उसको टालने की कोशिश करते रहते है इसके पीछे कई कारण हो सकते है जैसे कि मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत कारण हो सकते है आज मैं आपको बहुत ही विस्तार से बताऊंगी की आज के युवा विवाह से क्यों डरते हैं और सही मार्गदर्शन दूंगी जो उन्हे संतुलित जीवन की ओर ले जायेगा।
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युवाओं में विवाह से डरने के पीछे प्रमुख कारण
1. स्वतंत्रता खोने का डर
इस समय अधिकतर नवयुवकों को अपनी स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पहचान बहुत प्रिय है वे अपने करियर को लेकर सजग है न केवल करियर अपितु शौक, घूमना फिरना। उनको लगता है अगर मैने विवाह कर लिया तो जिम्मेदारी बहुत अधिक बढ़ जाएगी और वे अपने फैसले नही ले पाएंगे सीमित फैसले नही लेना चाहिए और यहां तक यह मान लेते है कि विवाह उनके दायित्व को दबा देगा यह कारण अधिकतर युवक में रहता है
2. आर्थिक असुरक्षा
नौकरी जब नही मिलती तो फिर महंगाई की मार से मन व्यथित हो जाता है जीवनशैली की बढ़ती लागत , नौकरी की चिंता यह बड़ी चिंताएं है बहुत से लोगो को लगता है अगर विवाह कर लिए तो खर्च बढ़ जायेगा और जीवन की आर्थिक जिम्मेदारियां का सामना न कर पाएंगे अपने आप को कमजोर समझने लगते है वो कर्ज के डर से और नौकरी की अनिश्चितता की वजह से विवाह से खुद को दूर करते रहते है।
3. असफल रिश्तों के उदाहरण
आज के समय में सोशल मीडिया की वजह से अधिकतर लोग तनाव से ग्रसित है मैने इस कर लेख लिखा है पहले ही आप पढ़ सकते है लोगो के तलाक , झगड़े , असहमति और अलगाव के मामले आते रहते है नवयुवक जब ऐसी घटना देखते है या सुनते है तो वो सहम से जाते है सोशल मीडिया उपयोग करना गलत नही है पर जितना हम विश्वास से उपयोग करते है उसको थोड़ा समझना चाहिए रिश्तों की नाकारात्मक कहानियां और तनावपूर्ण विवाह के जीवन की बाते नवयुवकों में भ्रम सा पैदा करती है उनको यह डर सताने लगता है कि कही वह भी ऐसी स्थिति में न फंस जाए
4. मानसिक दबाव और अपेक्षाओं का डर
विवाह केवल दो लोगो का विवाह ही नही है इसमें समाज ,परिवार की और सांस्कृतिक अपेक्षाएं भी रहती है उनको यह लग रहा होता है कि उनसे अधिक जिम्मेदारियां निभाने की अपेक्षा की जाएगी। मानसिक रूप से वे बिल्कुल तैयार न रहते है और तनावपूर्ण प्रक्रिया समझने लगते है
5. व्यक्तिगत विकास में बाधा का डर
युवाओं का मानना है कि हमारे व्यक्तिगत विकास में विवाह बाधा बन सकती है उनकी प्रगति रुक जायेगी , वे अपनी पढ़ाई अपने करियर और सपनो को पूरा करने में सक्षम नहीं रहेंगे विवाह एक बंधन की तरह लगने लगता है
6. रिश्तों में संवाद की कमी
रिस्तो में बातचीत करना नही आता समझ नही है धैर्य की कमी का अनुभव होता है उनको मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं होता समझाने वाला कोई नहीं रहता तो समझा सके की यह केवल जिम्मेदारी ही नही है प्रेम और सहयोग का रिश्ता भी है।
युवाओं की सोच को समझना जरूरी है कि युवा विवाह से क्यों डरते हैं
देखिए नवयुवक का विवाह से इस तरह गलत नही यह उनकी चिंताओं का संकेत है आज के दौर पर युवा अधिक आत्मनिर्भर बनना चाहिए वो इसके लिए जागरूक और संवेदनशील है वह अपनी जीवन में एक स्थिरता चाहते है मुकाम हासिल करना चाहते है पर बिना समझे वह बड़े कदम उठाना नही चाहते है इस तरह से उनको जानकारी और प्रेरित करना चाहिए उनका भावनात्मक समर्थन दिया जाए तो वो समझ सकते है
विवाह को लेकर सही मार्गदर्शन
1. विवाह एक साझेदारी है, बंधन नहीं
मैं कहना चाहूंगी की युवाओं विवाह करने से आपकी स्वतंत्रता समाप्त नहीं होती बल्कि इसको साझा किया जाता है आपके जो भी सपने है उनको पूरा करने में आपका साथी आपकी मदद करता है विवाह का मतलब एक साथ चलने का अपने लक्ष्य की ओर न कि खुद को खो देने का
2. आर्थिक योजना बनाकर चिंता कम करें
आप विवाह करने से पहले एक आर्थिक योजना बना लीजिए बजट बनाना , बचत और निवेश की रणनीति पर आप विचार कर सकते है इस पर ध्यान देना चाहिए इससे लाभ यह होगा कि विवाह के बाद आर्थिक दबाव कम होगा और मन में स्थिरता आएगी
3. संवाद और समझ से रिश्ते मजबूत होते हैं
अगर आप रिश्ता तय कर रहे तो आप रिश्तों में संवाद आवश्यक है विवाह करने से पहले आप और बाद में अपेक्षाओं पर खुलकर बात कीजिए जिम्मेदारियों और व्यक्तिगत इच्छा को बताए इससे भरोसा एक दूसरे पर बढ़ता है और संबंध मजबूत होता है
4. मानसिक तैयारी और आत्मविश्वास जरूरी
विवाह करने का फैसला आपको लेना चाहिए मानसिक रुप से आप तैयार रहिए, खुद से संवाद करे ,ध्यान और प्रार्थना से मानसिक स्थिरता मिलती है बडी से बड़ी चिंता भी ध्यान और भगवान से प्रार्थना करने पर ठीक हो जाती है और विवाह करने का निर्णय सहज लगने लगता है
5. गलत उदाहरणों से सीखें, डरें नहीं
जरुरी नही है जो लोगो के साथ हो रहा वो आपके भी साथ होगा क्योंकि हर विवाह अलग होता है जो आज कल असफल रिश्ते है उनसे डरने की बजाय आप को उनसे सीख लेनी चाहिए सही मार्गदर्शन से , कठिन परिस्थिति पर धैर्य धारण करने से और आपसी समझ से रिश्ता खुशहाल बनाया जा सकता है
6. व्यक्तिगत विकास और विवाह साथ-साथ संभव हैं
ऐसा नही है की अगर आप विवाह कर लेंगे तो आपके व्यक्तिगत विकास में रुकावट हो जायेगी कई लोगो के जीवन में देखा गया है कि वह विवाह के बाद भी कैरियर,पढ़ाई, और व्यक्तिगत लक्ष्य को हासिल किया है साथ में मिलकर लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करे , जीवन के प्रत्येक चरण में सहयोग करे और प्रेम से रहे
7. आध्यात्मिकता और आत्मचिंतन से जीवन संतुलित करें
अध्यात्म बल सब बलो से श्रेष्ठ है कठिन से कठिन समय में भी आपको उबारेगा प्रभु, के नाम, रूप ,लीला और धाम का आश्रय लीजिए इससे बुद्धि शुद्ध रहेगी और पवित्र भी , तनाव कम रहता है इसलिए युवाओं को आध्यात्मिक अभ्यास अपनाकर मन की उलझनों को सुलझाना चाहिए
तो मैंने आपको उपाय बताए और कारण भी यह बात चिंता की नही है की युवा विवाह से क्यों डरते हैं उनका डरना स्वाभाविक है क्योंकि उनको सही मार्गदर्शन की जरूरत है उनके मन में नाकारात्मक सोच को सकारात्मक करनी चाहिए जिससे विवाह के बाद जीवन अच्छा होगा और खुशहाल भी