धर्म के प्रति जिज्ञासा क्यों नही है – Why is there no curiosity About Religion

धर्म के प्रति जिज्ञासा क्यों नही है देखिए बच्चा हो बड़ा हो किसी भी धर्म का आदमी हो सबको एक ही चीज लगती है कि मेरे जीवन मे खुशियां हो मेरा जीवन सकारात्मक हो मेरे जीवन मे किसी भी प्रकार की निराशा न हो हताशा न हो लेकिन केवल कहने से कोई चीज होती नही

धर्म के प्रति जिज्ञासा क्यों नही है

no curiosity About Religion

आपको उन पर अमल करना बहुत जरूरी हैं अगर मुझे भूख लगी तो केवल भोजन भोजन कहने से भूख नहीं मिटती भोजन खाना पड़ता है ठीक उसी तरह आज के जो युवा है उनसे मेरा यही निवेदन रहेगा खूब खुश रहिए, खूब प्रसन्न रहिए लेकिन उसके साथ साथ लॉजिकली भी चीजों को सोचने की कोशिश कीजिए

scientifically धर्म की भी बात अगर आती है तो मै धर्म के लिए भी कहती हूं कि हजार क्वेश्चन पूछिए जरूरी नहीं मैने बोल दिया या किसी धर्म प्रवक्ता ने बोल दिया और आपने मान लिया नही प्रश्न करिए प्रश्न करोगे तभी तो सीखोगे question पूछिए जिज्ञासा रखिए आपकी हर चीज के प्रति जिज्ञासा है फोन में कौन सा एप्लीकेशन क्या करता है किससे क्या होता है

आपने गुरुजनों से जाने धर्म का स्वरूप

तो धर्म के लिए भी कुछ क्वेश्चन रखिए न अपने धर्म गुरुओं से पूछिए अपने माता पिता से पूछिए परिवारजनों से पूछिए और आप जब पूछेंगे तो आपको इतना नया रूप अपने धर्म का देखने को मिलेगा आंख बंद करके faith मत करिए आंख खोलकर करिए प्रश्न करके जिज्ञासा करके अपने धर्म को जीवन मे ग्रहण कीजिए

आप क्या सोचते है धर्म के बारे में यह आप की बुद्धि की पवित्रता पर निर्भर होती है इसलिए संतो का संग किया जाता है ताकि बुद्धि निर्मल हो जाए और बुद्धि पवित्र हो जाए किसी भी संत , महात्मा और गुरुजनों की बात आप आसानी से नही समझ पाओगे

संतों की बातो पर विश्वास करे

अगर समझने की कोशिश करोगे तो तर्क वितर्क उठेगा अच्छा है तर्क करना चाहिए प्रश्न करना चाहिए पर यदि संतो की बात पर अविश्वास बना रहेगा तो आप का समाधान नहीं हो पाएगा धर्म की आधार भूमि धर्म जहां टिकता है वह सत्य है यदि आप मिथ्या भाषण करते है असत्य वाक्यों पर ध्यान केंद्रित करते है तो आप धर्म में टिक ही नही पायेंगे धर्म सदैव उसकी रक्षा करता है जो धर्म की रक्षा करता है

हर व्यक्ति यदि धर्म के प्रति जिज्ञासा करने लगे तो उसकी रुचि निरंतर बढ़ती जायेगी और वह समझ पाएगा की धर्म से चलने पर आनंद मिलता है अब यह तो वही बात है ना जो चलेगा वह ही समझ पाएगा केवल विचार मात्र से बात नही बनती आपको उन विचारों को धारण करके चलना भी पड़ता है

सत्यमार्ग पर चलने के लिए संग सही हो

यदि आप आज सत्य मार्ग पर नही चलते तो आगे आने वाले समय में सत्य मार्ग लुप्त हो जायेगा आप चाह करके भी नही चल पायेंगे क्योंकि न आपको ऐसा संग मिलेगा जो भक्ति की ओर ले जाएगा न ऐसे संत की कृपा मिल पाएंगी जो आज आप को सहज में प्राप्त हो रही है

जब तक आपका उद्देश्य भजन करना नहीं होता है तब तक जीवन में निराशा बनी ही रहेगी आप संपत्ति के मालिक हो सकते है पर शांति आपसे कोशो दूर रहेगी जिस काम को आप सत्य से विमुख और धर्म का त्याग करके करेंगे वह कमा आपको कैसे सुखी करेगा प्यारे आप ही विचार कीजिए इस लिए इन बातो का चिंतन करे और निश्चय करे की नाम जप करेंगे और पवित्रता का आचरण करेंगे तो धर्म से चलना है तो एक कदम धर्म की ओर बढ़ाते रहे।

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